रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, काजोड़ा मोड़ क्षेत्र में वर्षों से रेलवे की जमीन पर कई परिवार अवैध रूप से घर बनाकर रह रहे हैं। कुछ महीने पहले रेलवे ने इन लोगों को नोटिस भेजकर जमीन खाली करने को कहा था। इसके बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इसी क्रम में पहला बैसाख (14 अप्रैल) के दिन अतिक्रमण हटाने की पहली कार्रवाई की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों के आग्रह पर रेलवे ने कुछ समय की मोहलत दी थी। मंगलवार को जब दोबारा कार्रवाई शुरू हुई, तो बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी और तृणमूल कांग्रेस के नेता मौके पर पहुंचे। विरोध बढ़ने पर रेलवे अधिकारियों को एक बार फिर अभियान रोकना पड़ा।
घटना की जानकारी मिलने पर रानीगंज टाउन तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष रूपेश यादव भी मौके पर पहुंचे और रेलवे तथा आरपीएफ अधिकारियों से बात की। उन्होंने कहा कि रेलवे विकास के नाम पर वर्षों से बसे गरीबों को जबरन उजाड़ने की कोशिश कर रहा है। हमने पहले भी 1 महीने का समय मांगा था, लेकिन महज 15 दिन में ही कार्रवाई शुरू कर दी गई। लोग खुद अपने घर हटाने को तैयार हैं, ऐसे में जेसीबी भेजना अमानवीय है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि 15 अप्रैल को रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक में अतिक्रमण हटाने के लिए 1 महीने का समय तय हुआ था, लेकिन 15 दिन के भीतर ही दोबारा बुलडोजर लेकर पहुंच गए। हम खुद 50 फुट रेलवे लाइन से और 72 फुट रेलवे के केबिन से जमीन खाली कर रहे हैं। ऐसे में जबरदस्ती जेसीबी चलाना सही नहीं है। रेलवे अधिकारियों ने फिलहाल 7 दिन की अतिरिक्त समय सीमा दी है, ताकि लोग स्वेच्छा से अपना सामान हटा लें और आगे रेलवे के काम में कोई बाधा न हो। हालांकि प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि तय समय के बाद यदि अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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