रानीगंज वासियों की आस्था, संस्कृति और सामाजिक जरुरत से जुड़ी बड़दही तालाब भराट मामले में अरविंद लोहारुवाला पर लगा प्रश्न चिन्ह

एमआईसी दिव्येन्दु भगत ने अरविंद लोहारुवाला के खिलाफ कानूनी कार्यवायी करने की दी चेतावनी







रानीगंज : रानीगंज शिल्पांचल का चिन्हित तालाब है बड़दही। ऐसा तालाब जो सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक तीनों ही रुप में महत्व रखता है। शायद ही रानीगंज शहर का कोई ऐसा शख्स होगा जो बड़दही न गया हो। बड़दही का सुंदरीकरण शहर की सांस्कृतिक का प्रतीक है। बड़दही का छठघाट धार्मिक आस्था से जुड़ा है और बड़दही का वातावरण यहां की सामाजिक व्यवस्था को दर्शाता है। परन्तु बड़दही तालाब के अस्तित्व के सीमा को धीरे-धीरे सिमटा जा रहा है। इस मामले को लेकर आसनसोल नगर निगम के 36 नंबर वार्ड के पार्षद एवं एमआईसी दिव्येन्दु भगत और प्रमोटर अरविंद लोहारुवाला आमने-सामने हो चुके है। दिव्येन्दु भगत ने सीधे तौर पर प्रमोटर अरविंद लोहारुवाला पर आरोप लगाया है कि बड़दही तालाब के क्षेत्रफल को बढ़ी चतुराई से कम कर दिया गया है। यानी इसे भर दिया गया है। बड़दही तालाब एक समय 32 बीघा में फैला हुआ था। वर्तमान में 22 बीघा में तब्दील हो चुका है। दिव्येन्दु भगत ने दावा किया है कि रानीगंज बीएलएलआरओ रिकाॅर्ड के तहत तालाब का कुल क्षेत्रफल 10.64 एकड़ है। तालाब की वर्तमान अवस्था अतिक्रमण के कारण 7.50 में तब्दील हो चुकी है। यानी 32 बीघा का तालाब 22 बीघा में सिमट गया। दिव्येन्दु भगत ने सीधे तौर पर अरविंद लोहारुवाला के उपर निशाना साधते हुए कहा कि एक तालाब किस तरह से वास्तु और कर्मशियल का हिस्सा हो सकता है। परन्तु ऐसा किया गया है। तालाब को भरकर वास्तु एवं कर्मशियल बनाया गया। दिव्येन्दु भगत लंबे समय से इस दुर्निति के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे है। गुरुवार को आसनसोल नगर निगम के अधिकारी, बीएलएलआरओ के अधिकारी तालाब का सर्वे किया। इसदिन नगर निगम और बीएलएलआरओ के सर्वे टीम डिमार्केशन कर खूंटी भी गाढ़ दी गयी है। दिव्येन्दु भगत ने चेतावनी दी है कि डिमार्केशन रिपोर्ट आने के बाद अरविंद लोहारुवाला के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा और साथ-साथ कानूनी कार्यवायी भी की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ अरविंद लोहारुवाला ने कहा कि मेरी सम्पति का मालिक आसनसोल नगर निगम नहीं है। इस सम्पति का हमारे परिवार के 9 सदस्य मालिक है। एमएमआईसी दिव्येन्दु भगत का आरोप सरासर गलत है। न तो यहां कोई फ्लैट बना है और न ही एक झोपड़ी। जमीन पूरी तरह से खाली है। यह पूरी तरह से नीजी सम्पति है। यह न तो नगर निगम की है और न ही पब्लिक की है। अरविंद लोहारुवाला ने दावा किया है कि उन्होंने किसी भी तरह का गैर कानूनी काम नहीं किया। अरविंद लोहारुवाला ने कहा कि जब वह जमीन का अपना हिस्सा नगर निगम को दान देना चाहते है फिर गैर कानूनी काम करने का कोई औचित्य हीं नहीं है। मैंने बड़दही के विकास के लिए अपनी जमीन पर निकासी व्यवस्था करने की अनुमति दी। बड़दही के विकास के साथ वो हमेशा जुड़े हुए है। अरविंद लोहारुवाला ने यह भी कहा कि बड़दही का पार्क भी तालाब की जमीन पर बनी हुयी है। इस तरह से यह भी गैर कानूनी है। अरविंद लोहारुवाला ने अफसोस जताते हुए कहा कि मेरी नीजी सम्पति पर नगर निगम और बीएलएलआरओ बिना अनुमति के और बिना मुझे शामिल किए डिमार्केशन कर रहे है। यह कहीं से भी सहीं नहीं है। अगर जरुरत पड़ी तो मैं भी इस तरह के आचरण के लिए कानून की मद्द लेने को बाध्य रहूंगा। आज से 40 साल पहले तालाब का क्षेत्रफल जितना था लगभग उतना ही है। इसमें कोई भराट या अतिक्रमण नहीं किया गया है।

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