रानीगंज :- ईसीएल द्वारा ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण न किए जाने और कोयला खदान के पानी से जमीन डूबने के विरोध में ग्रामीणों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। वृहस्पतिवार सुबह से ही ईसीएल के कुनुस्तोड़िया एरिया के बाँसड़ा सीपी पिट कोलियरी में आंदोलन किया गया। बड़ी संख्या में ग्रामवासी कोलियरी में पहुंचे और वहीं पर बैठ गए।
ग्रामीणों के आंदोलन की वजह से एक तरफ जहां कोलियरी का कामकाज और उत्पादन प्रभावित हुआ। वहीं दूसरी तरफ कोलियरी के श्रमिक भी खदान में प्रवेश नहीं कर पा रहे थे। ग्रामीणों ने ईसीएल प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती। ग्रामवासियों का कहना है कि लगभग ढाई सौ बीघा जमीन प्रभावित हुई है और लगभग पचास से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। कोयला खदान का पानी उनकी जमीन में जा रहा है जिसकी वजह से पूरी जमीन जलमग्न हो गई है। ऐसी स्थिति में अब उसे जमीन पर खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन कोलियरी के स्थानीय प्रबंधन अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंचा है। किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए ईसीएल के सुरक्षाकर्मी और सीआईएसएफ के जवानों को कोलियरी में तैनात किया गया।
वहीं दूसरी तरफ ग्रामवासियों के इस आंदोलन को लेकर बाँसड़ा ग्रुप ऑफ माइंस प्रबंधन भी हरकत में आ गया। बाँसड़ा ग्रुप ऑफ माइंस के एजेंट ने ग्रामवासियों को लिखित रूप से पत्र देकर उनसे आंदोलन वापस लेने की अपील की। इस पत्र में लिखा गया कि उनके आंदोलन के फलस्वरुप बाँसड़ा कोलियरी के सी-पीट में खनन गतिविधियां रोक देनी पड़ी। इतना ही नहीं पंप ऑपरेटर को भूमिगत खदान में जाने की अनुमति देने की मांग की गई क्योंकि पंपिंग भूमिगत खदान की सुरक्षा संबंधी विषय है। प्रबंधन के तरफ से पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि ग्राम वासियों की मांगों को पहले ही सक्षम अधिकारी के समक्ष रखा गया है। इसलिए उनसे आंदोलन वापस लेने और इस मामले पर आगे की चर्चा के लिए कार्यालय में आकर बैठक करने की अपील की गई।
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