रानीगंज में एक फर्जी दुर्गापूजा कमेटी पर 85 हजार रुपये सरकारी अनुदान लेने का आरोप !

सीयारसोल जूनियर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी के अस्तित्व पर सवाल


पार्षद और स्थानीय लोगों ने पूजा कमेटी के अस्तित्व को नकारा 




रानीगंज :- आसनसोल नगर निगम के 34 नंबर वार्ड अंतर्गत रानीगंज के सियारसोल इलाके में कथित तौर पर एक फर्जी दुर्गा पूजा कमेटी द्वारा सरकारी अनुदान राशि लेने का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि जिस दुर्गा पूजा कमेटी का कोई अस्तित्व ही नहीं है उसने पुलिस प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों की आंखों में धूल झोंककर कैसे सरकारी अनुदान की राशि प्राप्त कर ली। यह मामला सामने आते ही हर कोई हैरान है और अब इस पूरे मामले की जांच शुरू हो गई हैं। 


जानकारी के अनुसार, सीयारसोल जूनियर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी के नाम से एक पूजा कमेटी कथित तौर पर अस्तित्व में आ गई और उसे राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाला 85 हजार रुपये का अनुदान भी मिल चुका है। इस बारे में स्थानीय लोगों ने कहा कि वे पिछले कई दशकों से इस क्षेत्र में निवास कर रहे हैं। लेकिन उनको सियारसोल जूनियर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। स्थानीय लोगों को शक है कि यह एक फर्जी दुर्गा पूजा कमेटी है जो सरकार को चूना लगाकर अनुदान की राशि हड़प रही है। लोगों का कहना है कि यह दुर्गा पूजा कमेटी सिर्फ कागज पर है। असल में इसका कोई अस्तित्व नहीं है। हालांकि जब स्थानीय लोगों से यह पूछा गया कि अगर असलियत में इसका कोई अस्तित्व नहीं है तो इसे पुलिस के जरिए राज्य सरकार से मिलने वाला अनुदान कैसे मिला इस पर कोई भी सटीक जवाब सामने नहीं आया।


 वहीं इस बारे में 34 नंबर वार्ड के पार्षद ज्योति उर्फ रंजीत सिंह ने भी इस नाम से किसी दुर्गा पूजा कमेटी के होने की जानकारी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि उनको इस नाम से किसी दुर्गा पूजा कमेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में तीन जगह पर दुर्गा पूजा होती है। एक सियारसोल के गोल बागान, दूसरा राजबाड़ी मैदान और तीसरा राम बागान पंजाबी मोड़ में। इसके अलावा उन्हें सियारसोल जूनियर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनसे यह पूछा कि अगर इलाके के पार्षद होने के बावजूद उनका इस पूजा कमेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो इस पूजा कमेटी को सरकारी अनुदान का पैसा कैसे मिला। इस पर उन्होंने कहा कि यह अनुदान राशि पुलिस के जरिए दी जाती है। पुलिस ने जरूर इस बात की जांच की होगी, उसके बाद ही इस पूजा कमेटी को चेक मिला होगा। हालांकि उन्होंने इस तरह के किसी भी पूजा कमेटी के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि अब जब कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है तो वह इसकी खोजबीन करेंगे और पुलिस अधिकारियों से इस बारे में बातचीत करेंगे।


 हालांकि यहां पर सवाल यह उठता है कि अगर इस तरह की कोई पूजा कमेटी है तो स्थानीय लोगों को यहां तक के स्थानीय पार्षद को इसके बारे में जानकारी क्यों नहीं है ? तो क्या हम यह समझे कि इस तरह की कोई पूजा कमेटी है ही नहीं और सरकारी अनुदान के पैसे का गबन किया जा रहा है। यहां यह सवाल भी खड़ा होता है कि अगर ऐसा हो रहा है तो इसमें सिर्फ पूजा कमेटी के लोग शामिल है या इसमें प्रशासन के भी अधिकारी सम्मिलित है क्योंकि बिना प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता के इस तरह की गतिविधि संभव नहीं है। 


एक और बड़ा सवाल जो खड़ा होता है कि क्या इस तरह की सिर्फ एक ही पूजा कमेटी है जिस पर यह संदेह हो रहा है कि वह राज्य सरकार के अनुदान की राशि हड़प रही है या फिर इस जिले और पूरे बंगाल में और भी इस तरह की कमेटी है जो जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे से दिए जाने वाले अनुदान को हड़प रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बात की पूरी तरह से पारदर्शी रूप से जांच होनी चाहिए और अगर इसमें यह पाया जाता है कि इस तरह की कोई कमेटी है ही नहीं तो इस फर्जी कमेटी के पदाधिकारीयों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और अगर इसमें प्रशासन का कोई शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

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